ब्रम्हांड का निर्माण कैसे हुआ - यह कैसे अस्तित्व में आया ? वैदिक रश्मि थ्योरी |

ब्रम्हांड का निर्माण कैसे हुआ - यह कैसे अस्तित्व में आया ? वैदिक रश्मि थ्योरी|

क्या आपने कभी भी इस ब्रम्हांड के निर्माण के बारे में सोचा है, जरुर सोचा होगा और शायद इसके बारे में खोज भी की होगी और इसकी एक थ्योरी बिग-बेंग के बारे में सुना या पढ़ा होगा, पर क्या वह सच है, हां वह शायद हो भी सकती है, पर प्रमाण उसका पूरा है ना और किसी का, परन्तु प्रत्येक वस्तु का निर्माण कैसे होता है या हुआ है , इसमें हमें यह जानना सबसे जरुरी होता है की उसकी शुरूआती अवस्था क्या थी, और उस से उस वस्तु का निर्माण कैसे हुआ ? जैसे भोजन(खाना) कैसे बनता है ? हर प्रकार के भोजन के बनने की process अलग और उसमे में शुरुआत में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों या वस्तुओं की आवश्यकता, मेटेरियल की जरूरत होती है , और साधनों की भी जरूरत होती है , और उस वस्तु को बनाने के लिए ज्ञान(knowledge) की भी जरूरत होती है , इसके अलावा उसे बनाने का उद्देश्य भी होता है – इस तरह किसी भी वस्तु के निर्माण को जानने के लिए उसके कारण जानना होता है और कारण होना भी चाहिए , किसी भी निर्मित वस्तु के तीन कारण होते हैं –

    निमित्त कारण (Efficient Cause )
    उपादान कारण (Material Cause )
    साधारण कारण ( Normal Cause )

निमित्त कारण का अर्थ बनने वाला ,उपादान कारण का अर्थ है वस्तु को जिस मेटेरियल से बनाया और साधारण कारण का अर्थ है उसे जिस उद्देश्य के लिए बनाया , और उसके लिए सहायक वस्तुओ का प्रयोग जैसे ज्ञान आदि |
जिस तरह प्रत्येक निर्मित वस्तु के तीन कारण होते हैं उसी तरह ब्रम्हांड के भी तीन कारण होते है , निमित्त कारण “ईश्वर” है , उपादान कारण “प्रकृति” है और साधारण कारण में मुख्य “जीव” है जिसके लिए बनाया गया , यहाँ हम बताएँगे की ब्रम्हांड कैसे बना ? इस लेख में हमारा मुख्य विषय उपादान कारण होगा यानि हम “प्रकृति” पर विचार करेंगे |

वर्तमान में ब्रम्हांड के निर्माण की कई Theories है जिनमे मुख्य है –

    Big Bang Theory
    Steady State Theory

यहाँ हम वैदिक रश्मि Theory बताएँगे , वर्तमान Theories में अनेकों कमियां है , यह Theories सृष्टि की अनसुलझी समस्याओं को सुलझा नहीं सकती , वैदिक Theory सृष्टि के निर्माण की अद्भुत व्याख्या करती है – तो आइये हम जानते हैं कि वैदिक Theory क्या है ?

इस Theory के अनुसार शुरुआत में हमारा Universe अपनी मूल कारण अवस्था में पुरे अनंत स्पेस में फैला था , Matter अपनी मूल अवस्था में था और अनंत स्पेस में सर्वत्र फैला था , उस समय उस Matter की Properties क्या थी ये जानना जरुरी है , तब ब्रम्हांड कि शुरुआती अवस्था के लक्षण थे –

    शून्य तापमान ( 0 K )
    शून्य घनत्व
    शून्य बल
    अत्यंत शांत
    शून्य गति
    तब समय भी नहीं था |
    तब दिशा नहीं थी |
    आकाश नहीं था |

यहाँ ब्रम्हांड की शुरुआत अवस्था में Matter कि अवस्था ऐसी थी जिसे जाना नहीं जा सकता , क्यों कि उस Matter के सभी गुण सोई हुयी अवस्था में थे , Inactive थे , इसलिए वास्तव में क्या था ? इसे निश्चय रूप से कोई नहीं बता सकता , किसी भी प्रकार कि technology से ये जाना नहीं जा सकता , उस समय वह Matter गति से शून्य था , क्रिया से शून्य था , उसमे कोई क्रिया नहीं थी , इसलिए उसमे कोई बल भी नहीं था , और इसीलिए उसमे कोई Temperature भी नहीं था , वह अत्यंत शीतल यानि Absolute Zero Temperature वाला था , वह पुरे अनंत स्पेस में फैला था इसलिए उसका घनत्व शून्य था , कोई क्रिया नहीं थी , गति नहीं थी, इसलिए समय भी नहीं था क्यों कि जहाँ क्रिया व गति है वहां समय है , जहाँ क्रिया , गति नहीं वहां समय भी नहीं , इसलिए समय भी नहीं था , वह Matter अत्यंत शांत अवस्था में था , उसके सभी गुण प्रसुप्त यानि सोए हुए थे ,जैसे एक कमरे में कई बच्चे सो रहे हो तब उनकी अलग अलग Properties नहीं पता चलती , जब वे जागते है तब उनके अलग अलग Nature भी व्यक्त हो जाते हैं इसी तरह उस Matter कि Properties अव्यक्त थी , इसीलिए वह Matter भी अव्यक्त था , उसे पूर्ण रूप से जानना सर्वथा असम्भव है , उस Matter के तीन मुख्य गुण होते है , ये तीन गुण है-

    सत्व-Force
    रज – Motion
    तम – Mass

ये तीन  Force , Motion और Mass ही उसके तीन गुण है जो उस समय प्रसुप्त रहते हैं यानि सोए हुए जैसे रहते है , जाग्रत नहीं होते , Inactive रहते हैं , Force , Motion और Mass तीनों पूरी Physics के आधार है |

तब उस Matter से ईश्वर ने सृष्टि की रचना कैसे की ? ईश्वर सर्वव्यापक होने से अनंत स्पेस में हर जगह है और उस Matter के अंदर भी है , ईश्वर ने उस प्रकृति को “ओ३म् रश्मि” के द्वारा सर्वत्र प्रेरित किया , प्रथम प्रेरणा से “ओ३म् रश्मि” प्रकट होकर उस Matter को प्रेरित करती है , और उसके गुणों को जाग्रत कर देती है |

universe
इस तरह प्रकृति के गुण जाग्रत होते हैं ,सबसे पहले महत्तत्व बनता है , महत्तत्व से मनस्तत्व . मनस्तत्व से सूक्ष्म प्राण और मरुत रश्मिया , इनसे छंद रश्मिया , और आगे क्वार्क , प्रोटोन , Nucleus , एटम , Molecule आदि बनते है | ये सब कैसे बनते हैं इसे समझने के लिए आप ऐसा समझ सकते हैं जैसे एक शांत समुद्र में बहुत सी लहरे उठती है , तब उन लहरों में भी अनेकों लहरे होती है , इसी तरह ऐसा समझे की प्रकृति रूपी समुद्र में ॐ रश्मि रूपी लहर , अन्य लहरों को जन्म देती है और इस तरह विभिन्न लहरें बनती है , प्रकृति में इन लहरों को हम रश्मि जैसा समझ सकते है , अब रश्मि क्या है इसे जानते है –

रश्मि का अर्थ है Vibrating Entities यानी ऐसी सत्ता जो लगातार Vibrate करती रहती है , वैदिक व्याकरण के अनुसार रश्मि का अर्थ है ” रश्मिर्यमना” अर्थात जो नियम में रखे उसे रश्मि कहते है |

इन सभी रश्मियों के अलग अलग कार्य होते हैं , उन्ही को ये रश्मियां करती है , जैसे इन्हे किसी विशेष काम के लिए Programmed कर दिया गया हो – ऐसा समझ सकते है | पूरा ब्रम्हांड इन्ही रश्मियों से मिलकर बना है |

इन सब रश्मियों में ॐ रश्मि सबसे सूक्ष्म होती है और हर जगह होती है , यह अन्य सभी रश्मियों को नियंत्रित करती है , ॐ रश्मि के द्वारा ईश्वर ब्रम्हांड को चलाता है , निर्माण और विनाश करता है , इस सूक्ष्म ॐ रश्मि के द्वारा ईश्वर कैसे ब्रम्हांड को चलाता है इसे इस वीडियों से समझ सकते हैं , वीडियो में एक व्यक्ति एक छोटे से ब्लॉक को हल्के से फ़ोर्स से गिराता है और इस तरह बाकि बड़े बड़े ब्लॉक गिर जाते है , इसी तरह ॐ रश्मि अन्य रश्मियों को प्रेरित करती है और Universe की बड़ी बड़ी चीजों को कंट्रोल करती है , यह ॐ रश्मि अन्य सभी रश्मियों के अंदर व्याप्त रहकर उनको कंट्रोल करती है |

इस तरह ब्रम्हांड को बनने में लाखों करोड़ों सालों का समय लगता है , कौनसा तत्व या पार्टिकल कैसे बनता है , इसकी एक प्रोसेस होती है , इन लाखों करोड़ों सालों में ब्रम्हांड किस तरह बनता है और कब कब कैसी अवस्थाएं आती है इन सबका वर्णन वेद विज्ञान आलोक नाम के एक पुस्तक में है जो की जल्द ही प्रकाशित होकर आने वाली है यह पुस्तक 2800 Pages की है जो ब्रम्हांड के सभी रहस्यों के बारे में वेदों से बताती है , यह सिर्फ पुस्तक नहीं बल्कि एक रिसर्च का भण्डार है जिस पर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक रिसर्च कर सकते है , जिसकी मदद से वैज्ञानिक विज्ञान की अनसुलझी समस्याओं का समाधान ले सकते है , यह PHD स्तर की पुस्तक है , रिसर्च करने वाले ही इसे लेकर इसे समझ सकते है , इसमें सभी चीजों के बारे में बताया गया है जैसे dark energy क्या है , काल तत्व क्या है , फ़ोर्स कैसे पैदा होते है ? कितने प्रकार के Fundamental Force होते हैं ? Mass क्या होता है ? स्पेस क्या होता है ? ब्रम्हांड में कितने प्रकार के ग्रह और तारे होते हैं , ये तारे कैसे बनते हैं ? हमारे सूर्य के बारे में अनेकों रहस्य इसमें बताये गए है ? प्रकाश से भी तेज कौन सा तत्व है जिसकी गति प्रकाश से 4 गुना तेज है ? प्रकाश कैसे परावर्तित होता है ? इस तरह वर्तमान विज्ञान जिन बातों को नहीं Explain कर सकता उन सबको इस पुस्तक में Explain किया गया है , यह पुस्तक एक बहुत बड़ा रिसर्च का भण्डार है , इस रिसर्च को वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी ने 14 वर्ष की लगातार मेहनत और Research से तैयार किया है , उनका उद्देश्य भारत देश के प्राचीन विज्ञान को पुनर्स्थापित करके , वर्तमान विज्ञान को एक नयी दिशा देना है जिस से पूरी दुनिया में मानवता कि स्थापना हो , वेद और वैदिक विज्ञान से ही यह सम्भव है |

 यहाँ पर हमने संक्षेप में वैदिक Theory बताई है , इस Theory को BHU बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में 8  अप्रेल को Present किया गया था , वहां भारत के महान वैज्ञानिक प्रोफेसर जयंत विष्णु नार्लीकर भी थे जिन्होंने इस Theory को सुना , इसका वीडियो यहाँ देखे , वैदिक विज्ञान से सम्बंधित ज्यादा से ज्यादा विषयों पर हम लिखने का प्रयास करेंगे , आप हमारी Website को Subscribe कर सकते है ताकि हमारे नए Articles आप तुरंत पढ़ सकें , अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अधिक से अधिक Share करें |

Credit Of Post :- Tarksamrat.com

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